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ये इश्क़ का अब जिंदगी भर मलाल रहेगा

ये इश्क़ का अब जिंदगी भर मलाल रहेगा...  क्यों हुआ तुझसे यही सवाल रहेगा.. ! बदले ना जा सका, दिल का ये हाल रहेगा... आँसू पूछेंगे, क्यों यही सवाल रहेगा। तेरे बदले मिज़ाज़ के कारण ये सवाल रहेगा..  तुझसे किया इश्क़ बस यही मलाल रहेगा..  हूँ अब भी वही खड़ी... पर जब भूलूंगी तुझे...  वो मेरा सबसे खूबसूरत साल रहेगा..! 😉❤ आपके बदले मिजाज के कारण ये सवाल रहेगा, किया आपसे इश्क बस यही हरतरफ बवाल रहेगा। हैं अब भी वहीं खड़ी आप पर, जब कबुलेगीं इसे,  वो मेरा सबसे खूबसूरत साल रहेगा।। कबलूंगी तुझे वो कभी ना आने वाला साल रहेगा..     मेरी ना से जमाने मे अब बवाल रहेगा..  मैं भूल जाऊंगी... पर तेरा दिल मेरे लिए यू ही बेहाल रहेगा..  बेचैन होगा तु मेरी तरह और तब तेरा ये सवाल रहेगा..  क्यों चुना मुझे छोड़ किसी और को ये तुझे मलाल रहेगा..  आपकी इस खामोशी से मेरा दिल बेहाल रहेगा, यदि काबुल न पाई तो जिंदगी भर ये मलाल रहेगा; भूलने की कोशिश कर सको तो करो, लाखों-लाख साल लगेगा; क्यों न मिली तुम पहले, मुझे भी ये मलाल रहेगा।।
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तुझे क्या-क्या बताऊँ?

बहुत दिन बीते यादों मे तेरी... तुझे क्या क्या बताऊँ..? अब जो तु लौट रहा है, तुझे अपनी कहानी कहाँ से सुनाऊँ..? तु रह वही जहाँ था.. क्योंकि नहीं रही आरज़ू की अब मैं तुझे अपना बनाऊँ..!! नहीं फुरसत मुझे की अपनी कहानी भूल... तेरे किस्से सुलझाऊँ..! दिल भूलना चाहता है.. पर मैं तुझे कैसे भूल जाऊँ..? तु किसी और का हो कर लौटा... तु ही बता मैं तुझे कैसे अपना बनाऊँ..? दिल कहता है तुझे बहुत सताऊं... तुझे भी उतना रुलाऊँ..! तु खुश है पर मैं खुद को कैसे हसाऊँ..? तु जो लौट रहा है तुझे अपनी कहानी कहाँ से सुनाऊँ..??

शालू की शायरी

मेरी कहानी में अब भी तेरा किस्सा है..  की मेरी कहानी में अब भी तेरा किस्सा है.. दिल टूटा हुआ है पर उसमें भी तेरा हिस्सा है...! -'Sneha' जीने की कोई वजह नहीं... जाने क्यों जिये जा रही हूँ.. मैं ये गुनाह क्यों बार बार किये जा रही हूँ.. मौत से कोई वास्ता नहीं है मेरा.. फिर भी ना जाने क्यों.. मै मौत की ख्वाहिश किये जा रही हूँ..!! ************************** "तू अगर कह दे तो तेरे इंतज़ार में रातें बिताऊंगी,   करूँगी अपने इश्क़ का इज़हार, तुझे रात भर जगाऊंगी।   हक़ीक़त में ना सही, पर तुझे ख्वाबों में अपना बनाऊँगी,   तू किसी और का सही, मैं फिर भी तेरे सपने सजाऊंगी।" ************************** चलो मर जाते हैं तुम पर। बतायो सीने में दफ़नायोगे क्या?  ************************** चलो तेरे इश्क में पड़ जाते हैं, दिल की गहराइयों में, खो जाते हैं। ************************** सितारों के बिना चाँद भी कहाँ पुरा लगता है, तेरे बिना हर पल हर लम्हा अधूरा लगता है। और ये तो तेरी यादें इतनी प्यारी हैं, की तू अपना सा लगने लगता है, वरना लगने लगाने से ख्वाब सच

बताओ मुझे संभाल पाओगे क्या ?

थोड़ी सी झल्ली हूँ मैं.. बताओ मुझे संभाल पाओगे क्या.. स्वाभिमानी हूँ मैं बहुत... तुम मेरे स्वाभिमान की रक्षा कर पाओगे क्या.. Cafe, restaurant तो सब जाते हैं.. तुम मेरे साथ मंदीर चल पाओगे क्या.. हाँ मानती हूँ थोड़ी नादान हूँ मैं... तुम मेरी नादानियों को समझ पाओगे क्या.. बहुत बड़ी खवाहइशें नहीं है मेरी .. तुम मुझे झुमके दिला पाओगे क्या... अगर थामा है मेरा हाथ तो जिंदगी भर मेरा साथ निभा पाओगे क्या...??? #LovePoetry #SelfEsteem #Relationships #DreamsAndDesires #HeartfeltPoetry #CommitmentVerse #LifeJourneyVerses

हाथों में भी अपना हाथ: शायरी कलम से

"कभी मेरे हाथों में भी तो अपना हाथ डाल के देख जरा, ये दिल मांगे तुझसे, रिश्तों का सफर बना के देख जरा। जो बातें होती थीं सिर्फ शब्दों की, अब वही बातें कहने का समय है, मेरी आँखों में तेरे साथ बिताए हर पल की चाहत है। तू मेरी जिंदगी का हर सवाल का जवाब है, इस रिश्ते को मेरे दिल के पास बुला के देख जरा।"

सीखने का अंतरण से क्या समझते हैं? सीखने के अंतरण के कुछ प्रमुख प्रकारों का वर्णन उसके शैशिक आशय के साथ करें।

" सीखने का अंतरण " एक महत्वपूर्ण शिक्षा सिद्धांत है जिसे कोई भी शिक्षार्थी, अध्यापक, या शिक्षा संगठन के सदस्य के रूप में व्यक्ति के शिक्षा अनुभव का महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है। इसका मतलब होता है कि छात्र न केवल ज्ञान प्राप्त करता है, बल्कि वह भी जागरूक, सक्रिय, और अधिगम को अपना बनाता है। सीखने के अंतरण के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में निम्नलिखित है: 1. व्यक्तिगतीकरण : सीखने का अंतरण व्यक्तिगतीकरण को प्रमोट करता है, जिससे हर छात्र के व्यक्तिगत आवश्यकताओं और प्रतिबद्धियों का ध्यान रखा जा सकता है। 2. सक्रिय भागीदारी : छात्र सीखने के अंतरण के माध्यम से सक्रिय भागीदार होते हैं, जिससे उनका सीखने का प्रक्रिया सरलतर और सार्थक होता है। 3. मनोबल और स्वातंत्रता : छात्र सीखने के अंतरण के माध्यम से अपने मनोबल को बढ़ाते हैं और अपनी सोचने की स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं। 4. गहरी समझ : सीखने के अंतरण से छात्र अधिक गहरी समझ प्राप्त करते हैं, जिससे उनका ज्ञान और अधिगम दोनों में सुधार होता है। 5. अनुभव सीखना : सीखने के अंतरण के माध्यम से छात्र अपने अनुभवों से सीखते हैं, जिससे उनका ज्ञान और सी

सीखने की प्रकृति की व्याख्या करें।

सीखने की प्रकृति, जिसे "शिक्षा विज्ञान" या "पेडागोजी" के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है, छात्रों के अधिगम की प्रक्रिया को समझने और व्यक्तिगत और सामाजिक विकास को समर्थन देने के लिए उनकी मानसिक, भावनात्मक, और शैक्षिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है। सीखने की प्रकृति कुछ महत्वपूर्ण घटकों के चार्म में होती है: 1. शिक्षा के उद्देश्य : सीखने की प्रकृति शिक्षा के उद्देश्य को समझती है, यानी छात्रों के विकास, ज्ञान प्राप्ति, और समाज में सफलता के लिए शिक्षा का मकसद क्या होना चाहिए। 2. शिक्षा के प्रक्रियाएँ : यह अध्ययन करती है कि शिक्षा कैसे दी जानी चाहिए, जैसे कि शिक्षक की भूमिका, शिक्षा के उपाय, और छात्रों के साथ संवाद कैसे किया जाना चाहिए। 3. छात्रों के विकास: सीखने की प्रकृति छात्रों के व्यक्तिगत और सामाजिक विकास की प्रक्रिया को समझती है, जैसे कि उनकी मानसिक स्वास्थ्य, आत्म-समर्पण, और नैतिक मूल्यों का निरीक्षण करना। 4. शिक्षा प्रणाली : इसमें शिक्षा के विभिन्न प्रक्रियाओं, प्रणालियों, और प्रक्रिया मॉडलों का अध्ययन होता है, जिन्हें छात्रों के शिक्षा के लिए सबसे अधिक